जीवन का शुरूआती दौर:
संजू का जन्म तिरुअनंतपुरम के छोटे से गांव में हुआ था। उनके पिता सैमसन विश्वनाथ पेसे से कांस्टेबल थे जिससे उन्होंने संजू के क्रिकेट कैरियर को अच्छा बनाने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। उनके माता का नाम श्री लीजी है जो एक हाउस वाइफ है ।
संजु का प्रथम श्रेणी में पदार्पण:
संजू सैमसन ने बहुत ही कम उम्र में क्रिकेट खेलना शुरू कर दिया था। वह केरल के लिए क्रिकेट सदस्य के रूप में कार्यरत थे । उन्होंने एक कैप्टन के रूप में खेलते हुए पहले ही मैच में शानदर शतक लगा दिया। वह अंडर-16 के तहत और अंडर 19 के केरला क्रिकेट टीम के कैप्टन थे। संजू सैमसन को केरला क्रिकेट टीम के लिए रणजी ट्रॉफी खेलने के लिए मात्र 15 साल की उम्र में चुन लिया गया। संजू जून 2012 में मलेशिया में हो रहे अंडर 19 एशिया कप टूर्नामेंट में भारत का प्रतिनिधित्व किया। हालांकि उन्होंने यहां पर 3 मैचों में मात्र 14 रन बनाकर खराब प्रदर्शन किया। यूएई में आयोजित u 19 एशिया कप में पाकिस्तान के खिलाफ एक शानदार शतक बनाया जिससे वह भारतीय क्रिकेट टीम की निगाहों में आ गए और इसी के साथ केरला के लिए रणजी ट्रॉफी लगातार खेलने वाले प्लेयर बन गए।
संजू सैमसन का IPL में अमूल्य योगदान:
कोलकाता नाइट राइडर्स ने संजू सैमसन को आईपीएल 2012 में अपनी टीम का हिस्सा बनाया लेकिन दुर्भाग्यवश उन्हें एक भी मैच खेलने का मौका नहीं मिला। साल 2013 में राजस्थान रॉयल्स की टीम ने इन्हें अपनी टीम का हिस्सा बनाया और इसी के साथ यह पहला मैच किंग्स इलेवन पंजाब के लिए खेलें। संजू सैमसन एक अच्छे क्रिकेटर के साथ एक शांत माहौल के व्यक्ति भी है जो दर्शकों को बहुत पसंद आया । संजू सैमसन न्यू पहले बल्लेबाज थे जो केरला से आए थे। संजू सैमसन की अच्छी बल्लेबाजी को देखते हुए राजस्थान रॉयल्स की टीम ने उन्हें तीसरे स्थान पर रॉयल चैलेंजर बैंगलोर के खिलाफ उतारा और उन्होंने अपनी शानदार बल्लेबाजी के दम पर राजस्थान रॉयल्स को जीत दिलाई।
संजू सैमसन ने तीसरे स्थान पर खेलते हुए लगातार अच्छी परफॉर्मेंस की और लगातार अच्छी परफारमेंस के साथ-साथ अच्छा खिलाड़ी होने के लिए दर्शक ने बहुत पसंद करने लगे। साल 2014 में राजस्थान रॉयल्स में संजू सैमसंग को 4 करोड रुपए की धनराशि देकर अपनी टीम में शामिल किया इसके साथ ही वह करोड़पति क्रिकेटर बनने वाले सबसे कम उम्र के क्रिकेटर बन गए।
किस्मत का साथ न देना भारत के विकेटकीपर बल्लेबाज संजू सैमसंग का किस्मत ने तो साथ कभी दिया ही नहीं।
पहले तो इनको खेलने के लिए काफी कम मौके दिए गए और जब मौका मिले तो यह चोटिल होते रहे हैं।
संजू सैमसन उस टाइम के बल्लेबाज थे जब महेंद्र सिंह धोनी विकेटकीपर बैट्समैन थे इनके होते हुए भारतीय टीम में किसी और विकेटकीपर बैट्समैन का बहुत ही मुश्किल था यह भी एक रिजल्ट रहा है जिससे संजू सैमसन को खेलने के लिए काफी कम मौका दिया जाए है।
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